ऊंचे भाव के कारण 37 फीसदी घटा गैर-बासमती चावल का निर्यात
Source : business.khaskhabar.com | Sep 13, 2019 | 

नई दिल्ली। देश में चावल का भाव ऊंचा होने के कारण इसकी निर्यात मांग सुस्त
पड़ गई है। यही कारण है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल अब तक गैर-बासमती
चावल का निर्यात तकरीबन 10 लाख टन यानी 37 फीसदी घट गया है। बासमती चावल का
निर्यात भी पिछले साल के मुकाबले करीब डेढ़ फीसदी घटा है, लेकिन जानकार
बताते हैं कि बासमती के मामले में भाव कोई वजह नहीं है।
कृषि और
प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के तहत आने वाले
बासमती निर्यात विकास संस्थान के निदेशक अरविंद कुमार गुप्ता ने आईएएनएस को
बताया, "देश में गैर-बासमती चावल का भाव ऊंचा है, जिसके कारण इसकी निर्यात
मांग कम हो गई है। यही कारण है कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों
में चावल का निर्यात पिछले साल के मुकाबले काफी कम हो गया है।"
एपीडा
की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2019-20 में
अप्रैल से जुलाई के दौरान भारत ने 17,06891 टन गैर बासमती चावल का निर्यात
किया, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात
26,94,827 टन था। इस प्रकार, गैर-बासमती चावल का निर्यात पिछले साल के
मुकाबले अबतक 9.88 लाख टन यानी 36.66 फीसदी घट गया है।
देश से
निर्यात किए गए चावल का मूल्य अगर रुपये में देखें तो पिछले साल से 36.30
फीसदी घटकर 48.16 करोड़ रुपये रह गया है। वहीं, डॉलर के मूल्य में चालू
वित्त वर्ष के चार महीने में 69.5 करोड़ डॉलर के गैर बासमती चावल का
निर्यात हुआ है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 38.30 फीसदी कम
है।
वहीं, बासमती चावल का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान
पिछले साल के मुकाबले 1.42 लाख टन घट कर तकरीब 14.35 लाख टन रह गया।
हालांकि डॉलर के मूल्य में बासमती चावल का निर्यात 9.26 फीसदी घटा है। भारत
ने उक्त अवधि के दौरान 156.3 करोड़ डॉलर का बासमती चावल निर्यात किया।
ऑल
इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन विजय सेतिया ने भी बताया कि
भारतीय गैर-बासमती चावल महंगा होने के कारण विदेशी बाजार में इसकी मांग
नरम है। उन्होंने कहा, "भारत में धान सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम
समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर बिकता है, जिसके कारण विदेशी बाजार में चावल
का भाव ऊंचा हो जाता है, क्योंकि अन्य प्रतिस्पर्धी देशों में ऐसा नहीं
है।"
सेतिया ने कहा, "इसके अलावा, आयातक देशों में स्थानीय उत्पादन
होने के कारण भी वहां से मांग घट गई है, मसलन बांग्लादेश में घरेलू उत्पादन
होने से मांग कम हुई है।"
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा
निर्यातक है। इसके बाद दूसरे स्थान पर थाईलैंड और तीसरे स्थान पर वियतनाम
है। चावल का निर्यात पाकिस्तान भी करता है।
अरविंद गुप्ता ने बताया,
"बंग्लादेश व अन्य पड़ोसी देशों को भारत से चावल मंगाने में नौवहन किराया
कम लगता है, इसलिए भाव ऊंचा होने पर भी भारत से चावल खरीदना उनके लिए
ज्यादा महंगा नहीं होता है। लेकिन दूरवर्ती अफ्रीकी देशों के मामले में ऐसा
नहीं है। उनको जहां से सस्ता चावल मिलता है, वे वहां से खरीदते हैं।"
गुप्ता
ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गैर बासमती चावल का भाव और घरेलू
बाजार के भाव में तकरीबन 30 डॉलर प्रति टन का अंतर है। मतलब घरेलू भाव 30
डालर प्रति टन ज्यादा है।
(आईएएनएस)
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