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खाद्य पदार्थों में नरमी के चलते भारत की खुदरा मुद्रास्फीति में आएगी कमी : रिपोर्ट

Source : business.khaskhabar.com | Dec 11, 2024 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 indias retail inflation will come down due to softening of food prices report 688948नई दिल्ली।  मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।



 

रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें उम्मीद है कि खाद्य कीमतों में नरमी के कारण सीपीआई मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 5.5 प्रतिशत रह जाएगी, जबकि अक्टूबर में यह 6.2 प्रतिशत थी। ऐसा खाद्य कीमतों में नरमी के कारण होगा, जबकि कोर कीमतों में तेजी और ईंधन कीमतों में गिरावट जारी है। हमें लगता है कि खाद्य कीमतों में कमी और कोर सीपीआई में कमी के कारण सूचकांक में गिरावट आएगी।"

कोर सीपीआई में वस्तुएं और सेवाएं शामिल हैं, लेकिन खाद्य और ईंधन शामिल नहीं हैं, जिनकी कीमतें अधिक अस्थिर मानी जाती हैं।

अक्टूबर में सीपीआई मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21 प्रतिशत हो गई, क्योंकि महीने के दौरान सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी आई। यह पहली बार था, जब मुद्रास्फीति ने हाल के महीनों में आरबीआई की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को पार किया।

खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में दर्ज 5.49 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में सब्जियों की कीमतों में 42.18 प्रतिशत की वृद्धि के साथ बढ़ गई है, क्योंकि इस साल मानसून के देर से वापस आने के कारण फसलों को नुकसान पहुंचा और बाजार में आपूर्ति कम हो गई।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह कहा, "भारत की विकास कहानी अभी भी बरकरार है। मुद्रास्फीति में गिरावट आ रही है, लेकिन हम भविष्य में महत्वपूर्ण जोखिमों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इस जोखिम को कम कर नहीं आंका जा सकता।"

आरबीआई गवर्नर अर्थव्यवस्था के परिदृश्य के बारे में आशावादी थे, उन्होंने कहा कि "मुद्रास्फीति और विकास के बीच संतुलन अच्छी तरह से बना हुआ है।"

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बैंकों के लिए सीआरआर में 0.5 प्रतिशत की कटौती की, ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा देने को लेकर ऋण देने के लिए अधिक धन उपलब्ध हो सके, लेकिन मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया।

सीआरआर में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये आएंगे और बाजार ब्याज दरों में कमी आएगी।

--आईएएनएस

 

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