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भारत 10 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है:राष्ट्रपति

Source : business.khaskhabar.com | Nov 14, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 indian economy may grow to 10000billion dollars: pranab mukherjeeचुनौतीपूर्ण वैश्विक हालात में भी भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत प्रदर्शन का जिR करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा कि अगले दो दशक में इसमें 10 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की क्षमता है।

राष्ट्र्रपति ने प्रगति मैदान में 35वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला - 2015 (आईआईटीएफ) का उद्घाटन करते हुए कहा कि घरेलू स्तर पर "मेक इन इंडिया" अभियान के साथ साथ विनिर्माण पर जोर दिए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही एशिया,अफ्रीका और लेटिन अमेरिकी देशों में नए निर्यात बाजारों पर ध्यान देते हुए बाहरी परिवेश से उत्पन्न चुनौती का सामाना किया जा सकता है। प्रणब ने कहा, हम आज 2,100 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं और यदि विनिर्माण और नवप्रवर्तन को प्रोत्साहन दिया जाता है तो अगले दो दशक में हम 10 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकते हैं।

उन्होंने कहा, पिछले कुछ वषोंü के दौरान बने चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक परिदृश्य का मुकाबला करने में हमारी अर्थव्यवस्था सक्षम रही है। दुनिया की कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में छाई आर्थिक सुस्ती से भारत काफी हद तक बचा रहा। राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2012-13 को छोडकर जब आर्थिक वृद्धि पांच प्रतिशत से नीचे चली गई थी,भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगातार अपनी मजबूती दिखाई है। उन्होंने कहा कि इसके बाद 2014-15 में 7.2 प्रतिशत वृद्धि हासिल कर देश की अर्थव्यवस्था फिर से तेजी की राह पर चल पडी।

राष्ट्रपति ने कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में बनी हुई है और औद्योगिक प्रदर्शन में भी सुधार के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्तीय मजबूती के उपायों पर अमल किया गया है और वर्ष 2017-18 तक भारत 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगा। उन्होंने कहा, पिछले साल उत्साहवर्धक निर्यात कारोबार नहीं होने के बावजूद बाहरी क्षेत्र को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है।

वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती का असर घटते आयात के रूप में भी दिख रहा है और तेल आयात पर हमारी निर्भरता काफी कम हुई है। देश का चालू खाते का घाटा 2013-14 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले 1.7 प्रतिशत से कम होकर 2014-15 में जीडीपी का 1.4 प्रतिशत रह गया।