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ग्रामीण रोजगार में ऐतिहासिक सुधार, मनरेगा की जगह नए कानून से बदलेगी गांवों की तकदीर 

Source : business.khaskhabar.com | Dec 15, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 historic reforms in rural employment new law to replace mgnrega will transform villages 775978नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने दो दशक पुराने मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (एमजीएनआरईजीए) की जगह 'विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)' यानी वीबी–जी राम जी एक्ट, 2025 लाने का प्रस्ताव दिया है।  
इस बिल को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य के अनुसार तैयार किया गया है, जिसके तहत हर ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को, जो बिना मशीन के काम करना चाहते हैं, 125 दिनों की मजदूरी वाला रोजगार देने की कानूनी गारंटी दी जाएगी। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ रोजगार देना ही नहीं, बल्कि गांवों में पक्के और उपयोगी ढांचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर) बनाना भी है।
'वीबी-जी राम जी एक्ट 2025' मनरेगा से कई मायनो में बेहतर है। इसमें रोजगार के दिन 100 से बढ़ाकर 125 दिन कर दिए गए हैं। पहले काम कई छोटे-छोटे हिस्सों में बंटे होते थे, लेकिन अब कामों को चार तय प्राथमिक क्षेत्रों में रखा गया है, जिससे मजबूत और लंबे समय तक चलने वाले काम मिलेंगे। इसके अलावा, अब ग्राम पंचायत खुद ‘विकसित ग्राम पंचायत योजना’ बनाएगी, जिसे राष्ट्रीय योजनाओं जैसे पीएम गति-शक्ति से जोड़ा जाएगा।
इसके चार मुख्य कार्य होंगे, जिसमें पानी से जुड़े काम (जल सुरक्षा), गांव की बुनियादी सुविधाएं जैसे सड़कें, रोज़गार से जुड़ा ढांचा जैसे भंडारण और बाजार और बाढ़-सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के काम शामिल हैं।
किसानों को इस योजना से सीधा फायदा मिलेगा। खेती के समय मजदूरों की कमी न हो, इसके लिए राज्यों को कुल 60 दिनों तक सरकारी काम रोकने की अनुमति होगी, ताकि मजदूर खेती में काम कर सकें। इससे मजदूरी बेवजह नहीं बढ़ेगी और खेती की लागत कम रहेगी।
मनरेगा 2005 की परिस्थितियों के अनुसार बना था, लेकिन अब ग्रामीण भारत काफी बदल चुका है। गरीबी दर 2011–12 में 25.7 प्रतिशत से घटकर 2023–24 में 4.86 प्रतिशत हो गई है। डिजिटल सुविधाएं, बैंक खाते और रोजगार के नए साधन बढ़े हैं। ऐसे में पुरानी खुली मांग-आधारित व्यवस्था आज की जरूरतों के अनुसार नहीं थी।
पहले मांग के आधार पर बजट तय होता था, जिससे पैसों की कमी या अधिकता होती थी। अब नॉर्मेटिव फंडिंग लाई गई है, जिसमें तय मानकों के आधार पर बजट मिलेगा, जिससे योजना बेहतर तरीके से चलेगी। अगर काम नहीं मिला, तो बेरोजगारी भत्ता देना ही होगा।
इस नई योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। जल संरक्षण को प्राथमिकता देने से खेती को फायदा होगा। जल संरक्षण, सिंचाई, बेहतर सड़क, भंडारण और बाजार सुविधाओं से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और फसल नुकसान कम होगा।
इसके अतिरिक्त काम का भुगतान सीधे बैंक खाते में होगा। अगर समय पर काम नहीं मिला, तो बेरोजगारी भत्ता देना अनिवार्य होगा।
नई योजना में एआई से धोखाधड़ी पकड़ना, जीपीएस और मोबाइल निगरानी, रियल-टाइम डैशबोर्ड, हर हफ्ते सार्वजनिक जानकारी और हर ग्राम पंचायत में साल में दो बार सामाजिक ऑडिट होगा। पंचायतों की भूमिका भी पहले से ज्यादा मजबूत की गई है।
यह योजना अब केंद्रीय प्रायोजित योजना होगी। सामान्य राज्यों में खर्च का अनुपात 60:40 (केंद्र:राज्य) होगा। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में 90:10 और बिना विधानसभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों में 100 प्रतिशत खर्च केंद्र उठाएगा। इससे राज्यों की जिम्मेदारी बढ़ेगी और गलत इस्तेमाल कम होगा।
--आईएएनएस
 

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