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कोहरे के कारण आलू पर पिछेता झुलसा का प्रकोप, कई रबी फसलों को फायदा

Source : business.khaskhabar.com | Dec 26, 2019 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 foggy scorching due to fog many rabi crops benefit 420968नई दिल्ली। संपूर्ण उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में पड़ रही कड़ाके की ठंड और कोहरे के कारण जन-जीवन पर असर पड़ा है, वहीं किसानों को फसल खराब होने की चिंता सता रही है, लेकिन कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि आलू को छोड़ बाकी फसलों को फिलहाल कोई नुकसान नहीं है।

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि तापमान में अगर और गिरावट आती है तो पाला पड़ने लगेगा जिससे कई रबी फसलों के खराब होने का खतरा पैदा हो सकता है, लेकिन मौसम में आद्रता बढ़ने और कोहरा छाये रहने से आलू में झुलसा पड़ने की शिकायतें आने लगी हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर के तहत आने वाले केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान-क्षेत्रीय केंद्र मोदीपुरम, मेरठ के संयुक्त उपनिदेशक डॉ. मनोज कुमार ने आईएएनएस को बताया कि अभी तापमान में ज्यादा गिरावट नहीं आई है इसलिए पाला नहीं पड़ रहा है लेकिन कोहरा के कारण धूप नहीं निकल रही है और वातावरण में आद्रता है जिससे आलू में लेट ब्लाइट यानी झुलसा लगने का खतरा बढ़ गया है और कई जगहों से शिकायतें भी मिली हैं।

उन्होंने बताया कि आलू में झुलसा की शिकायत उत्तर प्रदेश और पंजाब से मिली है और संस्थान की ओर से इसके लिए एडवायजरी भी जारी की गई है।

डॉ कुमार ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक उत्तर प्रदेश को 24 दिसंबर को लिखे पत्र में बताया कि प्रदेश के हाथरस और औरेया जनपदों में पिछेता झुलसा का प्रकोप होने की सूचना मिली है। उन्होंने अपने पत्र में निदेशक से किसानों को इस बीमारी की सूचना देने और उन्हें ऐसी स्थिति में आलू की आवश्यकतानुसार ही सिंचाई करने की सलाह दी ताकि खेतों में नमी न रहे।

उन्होंने किसानों को उन इस रोग से बचाव के लिए उन खेतों में आलू की फसल पर मैंन्कोजेब या प्रोपीनेब या क्लोरोथेनॉल युक्त फफूंदनाशक दवा का छिड़काव तुरंत करने की सलाह दी है जिनमें अभी झुलसा नहीं लगा है। वहीं, जहां झुलसा का प्रकोप है वहां भी छिड़काव करने की सलाह दी गई है। यह छिड़काव दस दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है, लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इसे घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।

आईसीएआर के तहत ही आने वाले राजस्थान के भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान निदेषालय के कार्यकारी निदेशक पी के राय ने आईएएनएस को बताया कि फिलहाल सरसों, तोड़िया या रबी सीजन की अन्य फसल गेहूं, चना को कोई नुकसान नहीं हुआ है, पाला पड़ने से कई फसलों का नुकसान हो सकता है।

उन्होंने कहा कि जब तापमान दो से तीन डिग्री सेल्सियस के आसपास आ जाता है और इस स्तर पर दो से तीन घंटे तक बना रहता है तो फसल के तने का सैप जलीय द्रव जम जाता है, जिससे फसल को नुकसान होता है, लेकिन इस समय ऐसी स्थिति नहीं है।

उन्होंने बताया कि अभी न्यूनतम तापमान पांच से छह डिग्री सेल्सियस तक रहता है जिससे वातावरण में आद्रता रहती है और कोहरा छाया रहता है। यह कई फसलों के लिए गुणकारी भी है कि इस आद्रता से फसल को नमी मिलती है।

उन्होंने कहा कि पाला पड़ने पर फसल को नुकसान जरूर होगा लेकिन कोहरे से सरसों, गेहूं, चना जैसी फसलों को फिलहाल कोई नुकसान नहीं है। (आईएएनएस)

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