अदाणी का खुफिया वार: हिंडनबर्ग की हार का अनकहा सच
Source : business.khaskhabar.com | Apr 23, 2025 | 
मुंबई। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च के 'कॉरपोरेट इतिहास के सबसे बड़े घोटाले' के सनसनीखेज आरोपों ने अदाणी समूह को हिलाकर रख दिया था। शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों की घबराहट और एक बड़ा आईपीओ रद्द - यह सब उस तूफान का नतीजा था जिसने अदाणी के साम्राज्य को चुनौती दी थी। लेकिन, इस संकट की गहराई में ही 'ऑपरेशन ज़ेपेलिन' का जन्म हुआ - एक ऐसा खुफिया पलटवार, जिसने कॉरपोरेट जगत की सबसे बड़ी कहानियों में से एक रच दी।
जब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आई, गौतम अदाणी इजराइल में 1.2 अरब डॉलर की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हाइफा पोर्ट डील को अंतिम रूप देने में व्यस्त थे। 18 महीने की लंबी और कड़ी बोली प्रक्रिया के बाद अदाणी और एक इजरायली कंपनी की साझेदारी ने जीत हासिल की थी। सूत्रों की मानें तो, एक गोपनीय बैठक में इजरायली नेतृत्व ने अदाणी से इन आरोपों पर सवाल किया, जिसका उन्होंने दृढ़ता से खंडन किया "यह सब झूठ है।" इस महत्वपूर्ण बैठक में हाइफा पोर्ट के चेयरमैन और पूर्व मोसाद अधिकारी एशल अर्मोनी भी मौजूद थे।
इजरायली खुफिया हलकों में यह आशंका गहराने लगी कि रिपोर्ट का समय जानबूझकर चुना गया था ताकि इस महत्वपूर्ण डील को कमजोर किया जा सके। इसी संदेह ने जन्म दिया एक गुप्त ऑपरेशन को - 'ऑपरेशन ज़ेपेलिन'। हिंडनबर्ग के संस्थापक नैथन एंडरसन और उनकी टीम की हर गतिविधि पर बारीक नजर रखी जाने लगी। न्यूयॉर्क, शिकागो के पास ओकब्रुक टेरेस और यूरोप के कुछ ठिकानों पर खुफिया निगरानी तेज कर दी गई।
इस गहन जांच में कई चौंकाने वाले नाम सामने आए - कुछ एक्टिविस्ट, वकील, पत्रकार, हेज फंड्स और राजनीतिक लॉबिस्ट इस नेटवर्क का हिस्सा थे। कुछ के तार चीन समर्थित समूहों से जुड़ते दिखे, तो कुछ के संबंध वॉशिंगटन की शक्तिशाली लॉबी से पाए गए। सूत्रों के अनुसार, जांचकर्ताओं को एन्क्रिप्टेड चैट्स और गोपनीय दस्तावेज भी मिले, जो हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को मिले अंतरराष्ट्रीय समर्थन की ओर इशारा करते थे। इस खुफिया ऑपरेशन की संवेदनशील जानकारी जनवरी 2024 में स्विट्जरलैंड में गौतम अदाणी को सौंपी गई।
इसके बाद अहमदाबाद में एक हाई-टेक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया।
साइबर विशेषज्ञ, डेटा एनालिस्ट और कानूनी विशेषज्ञों की टीमें चौबीसों घंटे इस मिशन पर काम करती रहीं। अक्टूबर 2024 तक 'ज़ेपेलिन डोजियर' तैयार हो चुका था- 353 पन्नों का एक ऐसा दस्तावेज, जिसने हिंडनबर्ग से जुड़े पूरे नेटवर्क की परतों को उधेड़ कर रख दिया।
इसी दौरान कुछ गोपनीय दस्तावेज लीक हुए, जिनमें कथित तौर पर कुछ अमेरिकी एजेंसियों और मीडिया संस्थानों की भूमिका का जिक्र था, जिन्होंने अदाणी समूह के खिलाफ एक नकारात्मक माहौल बनाने में सहयोग किया था। नवंबर 2024 में अमेरिकी न्याय विभाग और एसईसी ने अदाणी समूह पर कथित घूसखोरी के आरोप लगाए, जिसे समूह ने सिरे से खारिज कर दिया और कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया। न्यूयॉर्क की एक प्रतिष्ठित लॉ फर्म ने हिंडनबर्ग के खिलाफ 7 पन्नों का एक कानूनी मसौदा भी तैयार किया।
सूत्रों की मानें तो, हिंडनबर्ग को बातचीत का प्रस्ताव भी भेजा गया था - मैनहैटन के 295 फिफ्थ एवेन्यू स्थित एक दफ्तर को मीटिंग का स्थान निर्धारित किया गया था, हालांकि यह मीटिंग वास्तव में हुई या नहीं, इस पर अभी भी संशय बना हुआ है।
अपनी विवादास्पद रिपोर्ट की दूसरी वर्षगांठ से ठीक पहले, 15 जनवरी 2025 को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अचानक अपने सभी ऑपरेशन्स बंद करने की घोषणा कर दी।
'ऑपरेशन ज़ेपेलिन', जो कभी एक खुफिया मिशन के रूप में शुरू हुआ था, अब कॉरपोरेट इतिहास का एक अभूतपूर्व अध्याय बन चुका है- जहां व्यापार, कूटनीति, खुफिया रणनीति और अटूट भरोसे के एक जटिल जाल ने एक शक्तिशाली विरोधी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यह कहानी कॉर्पोरेट जगत में शक्ति, रणनीति और पर्दे के पीछे की चालों का एक चौंकाने वाला उदाहरण है।
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