businesskhaskhabar.com

Business News

Home >> Business

आपातकाल के लिए कच्चे तेल के भंडारण में जुटा भारत, होगा 5 हजार करोड खर्च

Source : business.khaskhabar.com | Apr 24, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 India saving petroleum oil for war time emergencyनई दिल्ली। वैश्विक तेल मूल्य में जुलाई 2014 के बाद से करीब 42.5 फीसदी गिरावट का लाभ उठाते हुए सरकार रणनीतिक तेल भंडार का निर्माण करने में जुट गई है। इस परियोजना के प्रथम चरण में 4,948 करोड रूपये खर्च कर रही है। इस भंडार का उपयोग आपात स्थिति में किया जा सकेगा और यह करीब दो सप्ताह तक चलेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भूमिगत गुफानुमा संरचनाओं में तेल का भंडारण किया जाएगा और इसके तहत जल्द ही पूर्वी तट पर विशाखापत्तनम बंदरगाह में बनी गुफानुमा संरचना में कच्चा तेल भंडारण शुरू हो जाएगा। भंडारण की योजना को जनवरी 2006 में मंजूरी मिली थी।

योजना के मुताबिक....

- विशाखपत्तनम बंदरगाह पर बने कंक्रीट के टैंक तथा अन्य प्राकृतिक गुफानुमा टैंकों में 13.3 लाख टन कच्चे तेल का भंडारण होगा, जो 1,29,221 ट्रक टैंकर के तेल के बराबर होगा।

- विशाखापत्तनम का भंडार भरे जाने के बाद यदि धन बचेगा, तो उसका उपयोग कर और तेल इकटा किया जाएगा और उसे दो अन्य भंडारों- कर्नाटक के मंगलोर और पदुर में जमा किया जाएगा।

- तीनों भंडारों का प्रबंधन इंडियन स्ट्रैटेजिक पेट्रोलियम रिजव्र्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा और ये 53.3 लाख टन कच्चे तेल का भंडार जमा कर सकेंगे, जो 12 किलोलीटर क्षमता वाले 5,17,857 ट्रक टैंकरों के तेल के बराबर होगा।

- राज्यसभा में पेश आंकडे के मुताबिक, इतना तेल देश की जरूरत को 13 दिन तक पूरा करने के लिए काफी होगा।

भारत को ऎसे भंडार की जरूरत है, क्योंकि इसे अपनी जरूरत के एक बडे हिस्से को आयात से पूरा करना होता है। तत्कालीन योजना आयोग ने एकीकृत ऊर्जा नीति 2006 में कहा था कि आपूर्ति, बाजार और प्रौद्योगिकी जैसे जोखिम देश के सामने मौजूद बडे जोखिमों में हैं।

नीति के मुताबिक, देश को 90 दिनों तक के लिए भंडार इकट्ठा करना चाहिए। इसे देखते हुए 2019-20 तक करीब 1.332 करोड टन तेल भंडार और बनाना होगा। इसे देखते हुए सरकार चार और भंडार बनाने पर विचार कर रही है। ये भंडार ओडिशा के चांडीखोल, राजस्थान के बीकानेर, गुजरात के राजकोट और कर्नाटक के पदुर में होंगे। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पास सर्वाधिक 9.5 करोड टन और जापान के पास दूसरा सर्वाधिक 4.4 करोड टन तेल का भंडार है। चीन के पास नवंबर 2014 तक 1.24 करोड टन का भंडार था। भारत ने अभी शुरूआत की है और इसे काफी लंबी दूरी तय करनी है।