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ई-कॉमर्स क्षेत्र में एफडीआई में ढील की मांग

Source : business.khaskhabar.com | Jan 23, 2015 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 FDI policy relaxation in e comerceवाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के भारत दौरे से पहले दो अमेरिकी सांसदों ने उनसे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-कॉमर्स के क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर लगी पाबंदी में ढील देने का अनुरोध करने के लिए कहा है। सीनेट की भारतीय मामलों से संबंधित समिति, जिसमें अमेरिका की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के सदस्य हैं, के अध्यक्षों ने ओबामा से यह अनुरोध किया।

डेमोRेट सदस्य मार्क आर. वार्नर तथा रिपब्लिकन सदस्य जॉन कॉरनिन ने ओबामा को लिखे पत्र में कहा, "इस कदम से भारत और अमेरिका दोनों देशों की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।" वार्नर उन चार सांसदों में शामिल हैं, जो ओबामा के भारतीय दौरे पर उनके साथ होंगे। दोनों सांसदों के मुताबिक, "हमें विश्वास है कि एफडीआई में ढील से भारतीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होगा। साथ ही गरीबी रेखा से नीचे रह रहे करीब 40 करो़ड भारतीयों को सस्ते सामान और रोजगार के अवसर मिल सकेंगे।" वार्नर और कॉर्नेन ने पत्र में लिखा है, "भारत में ऑनलाइन अतिरिक्त खुदरा लेनदेन से खपत बढ़ेगी, उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें घटेंगी, छोटी तथा मझोली कंपनियों की बाजार तक पहुंच में सुधार होगा और विभिन्न पेशेवर क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।"

उन्होंने कहा कि वर्तमान में इंटरनेट के जरिए भारतीय उपभोक्ताओं को सीधे सामान बेचने संबंधी विदेशी व्यापार पर भारत ने रोक लगा रखी है, जिसका मतलब है अमेरिकी व्यापारी बिना बिचौलियों की मदद के भारतीय उपभोक्ताओं को सीधे ऑनलाइन उत्पाद नहीं बेच सकते। वार्नर और कॉर्नेन के मुताबिक, यदि भारत इस प्रतिबंध को हटा लेता है तो इससे कई अमेरिकी कारोबारियों की पहुंच भारत की 4.9 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था और यहां के मध्यम वर्ग तक हो सकेगी। इसमें लोगों को सस्ते सामान मुहैया कराकर भारत में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और करीब ढाई लाख नौकरियों के सृजन की संभावना है, जिनमें से करीब 10 लाख ग्राहक सेवा, सूचना प्रौद्योगिकी, सामग्री, परिवहन और प्रशासन के क्षेत्र में 10 हो सकते हैं। वर्तमान समय में भारत का ई-कॉमर्स बाजार 3.5 अरब डॉलर का है और 2016 तक इसके बढ़ कर छह अरब डॉलर होने की उम्मीद है। सांसदों के मुताबिक सस्ते स्र्माटफोन और मोबाइल ब्रॉडबैंड की संख्या में बढ़ोतरी से ग्रामीण और अर्ध-ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है।