मोदी सरकार के कार्यकाल में बडे प्रोजेक्ट्स को लगा झटका
Source : business.khaskhabar.com | Jun 04, 2015 | 

नई दिल्ली। मोदी सरकार के पहले 10 महीनों के दौरान ऎसे प्रॉजेक्ट्स की संख्या बढी है जिन पर या तो कामकाज ठप हो गया या जिनमें अंतत: किनारा कर लिया है। कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान 2013-14 में कंपनियों ने 69 प्रोजेक्ट्स को छो़ड दिया था, वहीं बीजेपी के शासन काल में इनकी संख्या बढ़कर 101 हो गई है। हालांकि, यह तुलना ठीक नहीं है क्योंकि 2014-15 में पूरे साल तक बीजेपी सत्ता में नहीं थी।
मोदी सरकार ने पिछले साल 26 मई को देश की कमान संभाली थी। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) के डेटा से मिली जानकारी के अनुसार मोदी सरकार के पहले 10 महीनों के दौरान ऎसे प्रोजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है, जिन पर या तो कामकाज ठप हो गया या जिनसे किनारा कर लिया गया। सीएमआईई के तिमाही डेटा से पता चलता है कि 31 मार्च 2015 को खत्म फाइनेंसियल ईयर में 363 प्रोजेक्ट्स रूके हुए थे। 2013-14 में इनकी संख्या 341 थी। बीच में छोडे गए प्रॉजेक्ट्स में भी ऎसा ही ट्रेंड है। सीएमआईई के डायरेक्टर महेश व्यास ने बताया, रूके हुए प्रोजेक्ट्स की संख्या बढ़ी है। संख्या के साथ प्रोजेक्ट्स कौन से हैं, इससे भी काफी फर्क प़डता है।
डेटा से पता चलता है कि ब़डे प्रोजेक्ट्स पर काम अब भी नहीं हो रहा है। नई सरकार से कई उम्मीदें थीं, लेकिन व्यावसायिक वातावरण में कोई बदलाव नहीं आया है। सच तो यह है कि कॉरपोरेट प्रॉफिटैबिलिटी में काफी गिरावट आई है। इंडस्ट्री ब़डे प्रोजेक्ट्स पर काम टाल रही है। उसे लगता है कि अभी पैसा खर्च क्यों करें, जब यही काम बाद में किया जा सकता है। रेग्युलेटरी क्लीयरेंस नहीं मिलने, फाइनैंसिंग की दिक्कतों और खराब मार्केट कंडीशन के चलते जिन प्रोजेक्ट्स पर काम नहीं हो रहा है, वे रूकी परियोजनाएं कहलाती हैं। सीएमआईई के मुताबिक, छो़डे गए प्रोजेक्ट्स वे हैं, जिनसे प्रमोटर्स किनारा कर चुके हैं।