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देश में 30 फीसदी बढ़ सकता है दूध उत्पादन

Source : business.khaskhabar.com | Jan 14, 2019 | businesskhaskhabar.com Commodity News Rss Feeds
 30 percent increase in milk production in the country 363120नई दिल्ली। भारत दूध उत्पादन में अग्रणी देशों में शुमार है। यह तब है जब मस्टाइटिस बीमारी की वजह से दूध उत्पादन पर खासा असर पड़ता है और अगर इस बीमारी पर लगाम लग जाए तो देश में 30 फीसदी दूध उत्पादन बढ़ जाएगा और किसानों की आय भी 30 से 35 फीसदी बढ़ जाएगी।

मूफार्म के संस्थापक परम सिंह ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ‘‘औसतन 1000 पशुओं की जांच में 600 में मस्टाइटिस की समस्या देखी जाती है और इस समस्या को दूर कर देश में दूध उत्पादन में 30 फीसदी की वृद्धि हो सकती है।’’

स्तन में आई सूजन को मस्टाइटिस या स्थानीय भाषा में थनैला कहा जाता है। इसकी वजह से डेयरी किसानों को 30 से 50 फीसदी तक दूध उत्पादन का नुकसान उठाना पड़ता है। एक अनुमान के मुताबिक इससे डेयरी उद्योग को लगभग 52.6 करोड़ डॉलर का नुकसान होता है।

भारत में दूध उत्पादन का औसत महज तीन लीटर प्रति पशु है, जबकि यही औसत ऑस्ट्रेलिया में 16 और इजरायल में 36 लीटर प्रति पशु है।

प्रति पशु दूध उत्पादन में भारत को अग्रणी बनाने की दिशा में काम कर रहे मूफार्म के संस्थापक परम सिंह ने कहा, ‘‘क्लिनिकल मस्टाइटिस के बारे में किसानों को पता ही नहीं होता। पांच लीटर दूध देने वाली गाय या भैंस जब तीन लीटर दूध देने लगती है तो किसान समझते हैं कि यह मौसम में बदलाव या किसी अन्य कारण से हो रहा है। जबकि इसकी वजह मस्टाइटिस हो सकती है और इसे थोड़ी सजगता से दूर किया जा सकता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मस्टाइटिस डेयरी पशुओं में पाया जाने वाला घातक संक्रमण है, जो इन पशुओं की स्तन ग्रंथियों को प्रभावित करता है। यह संक्रामक बैक्टीरिया के कारण होता है, जिसकी वजह से दूध का उत्पादन घट जाता है। मवेशी के दूध की मात्रा और गुणवत्ता कम हो जाती है, कभी-कभी इसके कारण पशु की मृत्यु तक हो सकती है।’’

सिंह ने कहा, ‘‘एक अनुमान के अनुसार, भारत में मस्टाइटिस के कारण डेयरी उद्योग को लगभग 52.6 करोड़ डॉलर का नुकसान होता है। मास्टाइटिस एक बड़ी समस्या है, लेकिन इस पर नियंत्रण संभव है। भारतीय डेयरी किसानों में जागरूकता की कमी है। वे मवेशियों की देखभाल के लिए आज भी सदियों पुरानी प्रथाओं का इस्तेमाल करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘डेयरी किसानों को मवेशियों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूक कर इन खामियों को दूर किया जा सकता है। हमने उनकी दशा सुधारने और डेयरी सेक्टर से जुड़ी समस्याओं के हल के लिए मॉडल को टेक्नोलॉजी से जोड़ दिया है और इसे एप से कनेक्ट कर दिया है। अब इस टेक्नोलॉजी से जुड़़े किसान को अपने हर पशु के बारे में अद्यतन जानकारी मिलती रहेगी।’’

उन्होंने कहा कि मूफार्म किसानों को मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से सहायता देती है तथा प्रशिक्षण सत्रों एवं जागरूकता शिविरों के माध्यम से लास्ट माईल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करती है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह टेक्नोलॉजी और एक्सटेंशन का अनूठा मॉडल है, जिसमें डेयरी किसानों को अपने मोबाइल एप पर नियमित रूप से एलर्ट मिलते हैं, समय समय पर मवेशी के दूध की जांच कर मस्टाइटिस की पहचान की जाती है, डेयरी विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है। इन सभी गतिविधियों का संचालन ग्रामीण स्तर के उद्यमी करते हैं, जिन्हें किसानों को डेयरी प्रथाओं पर शिक्षित करने के लिए मूफार्म एप्लीकेशन के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।’’

परम सिंह ने कहा, ‘‘आपको जानकर हैरानी होगी कि जब हमारे कार्यकर्ता ने राजपुरा, पंजाब में डेयरी विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में मस्टाइटिस जांच की, 65 फीसदी मवेशियों में इसके परिणाम पॉजिटिव आए। यानी संक्रमित मवेशी के कारण किसान की मासिक आय में 4,600 रुपये का नुकसान हो रहा था।’’

उन्होंने कहा कि मूफार्म 2020 तक भारत के दो लाख डेयरी किसानों को प्रशिक्षित करेगी, और पशु पोषण जैसे क्षेत्रों में किसानों का कौशल बढ़ाने में मदद करेगी।
(आईएएनएस)

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