क्षेमा ने राजस्थान में PMFBY में लगभग 200 करोड़ रुपए का भुगतान किया
Source : business.khaskhabar.com | Jan 23, 2025 | 
जयपुर। क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत राजस्थान में लगभग 200 करोड़ रुपए के दावों का भुगतान किया। इन दावों का लाभ श्री गंगानगर, अलवर और बूंदी जिलों के किसानों को मिला है। क्षेमा ने कदाचार पर अंकुश लगाने के लिए PMFBY के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करते हुए दावों का भुगतान समयबद्ध तरीके से किया, जिसका उद्देश्य वास्तविक दावों वाले किसानों को लाभ पहुँचाना था।
इस बीच, क्षेमा ने इन जिलों में चालू रबी सीजन में PMFBY के तहत मिले फसल बीमा आवेदनों को मान्य करने के लिए फसल निगरानी प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह गतिविधि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए 'ऑपरेशनल गाइडलाइंस खरीफ-23' के तहत की जा रही है, जिससे दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना का प्रभावी संचालन हो सके।
फसल निगरानी प्रक्रिया पर अपनी बात रखते हुए, कुमार सौरभ, क्षेमा जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड के चीफ रिस्क ऑफिसर ने कहा, "हमने श्रीगंगानगर, बूंंदी और अलवर के किसानों को उनके फसल नुकसान के लिए पीएमएफबीवाई के तहत लगभग 200 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है।
हमें गर्व है कि हम सरकार के PMFBY दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन करते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि हम सभी वास्तविक दावों का निपटान करें और किसानों तक पैसा तब पहुंचे, जब उन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता हो। मैं इन जिलों के किसानों से निवेदन करता हूं कि वे निर्धारित समय-सीमा के भीतर फसल निगरानी प्रक्रिया को पूरा करने में हमारा उत्साहपूर्वक सहयोग करें, ताकि यदि उनकी फसल को नुकसान होता है, तो हम उनके दावों को प्रोसेस कर सके।
क्षेमा अपनी अत्याधुनिक तकनीकी प्लेटफॉर्म के साथ फील्ड सर्वे का उपयोग करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी तरह की गड़बड़ी या विसंगति को व्यक्तिगत आवेदक स्तर पर संभाला जा सके, जिससे पीएमएफबीवाई की पारदर्शिता बनी रहे, और इसका लाभ किसानों तक सही तरीके से पहुँच सके। इससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत सरकार की नीति के अनुसार सभी वास्तविक दावों का भुगतान हो सके।
इस निगरानी प्रक्रिया को ऑपरेशनल गाइडलाइंस खरीफ-2023 के आधार पे डिज़ाइन की गयी है जिससे इसकी अखंडता बनी रहे और निम्न गड़बड़ियों को रोका जा सके। बोई गई फसल से ज्यादा जमीन का बीमा, जिससे ओवर-इंश्योरेंस हो जाता है। एक ही खेत या भूखंड पर अतिरिक्त बीमा पॉलिसी लेना। बीमित क्षेत्र की गलत रिपोर्टिंग, गैर-कृषि भूमि, सरकारी/मंदिर की भूमि या कृषि योग्य भूमि जो बीमाकृत किसान की नहीं है, उसको बीमा में दिखाना।
किसानों द्वारा बीमित भूमि पर फसल न बोना या फसल उगाने का इरादा न रखना, चाहे वह भूमि स्वामित्व की हो या पट्टे पर ली गई हो। बीमित फसलों की गलत रिपोर्टिंग यानी बोई गई फसल और बीमा कराई गई फसल अलग-अलग हो।
क्षेमा सैटेलाइट इमेजरी और जियो-स्पेशल टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है, ताकि उन खेतों के लिए बीमा आवेदन, जहाँ फसल नहीं बोई गई या फिर आवेदन में दी गई फसल और असल में बोई गई फसल में अंतर हो, ऐसे दुरुपयोगों को रोका जा सके।
क्षेमा किसानों का हक सुरक्षित रखने और करदाताओं के पैसे की रक्षा के लिए धोखाधड़ी की पहचान करने में पूरी तरह से सतर्क है। राजस्थान सरकार ने भी धोखाधड़ी के खिलाफ क्षेमा द्वारा की गई कोशिशों का समर्थन किया है।
सौरभ ने सार्वजनिक धन के संरक्षक के रूप में PMFBY के तहत बीमा प्रदाताओं की भूमिका पर जोर देते हुए कहा, "यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम किसानों को उनके दावों का भुगतान समय पर करवाएँ। PMFBY दिशानिर्देश बीमा प्रदाताओं को फसल निगरानी करने का अधिकार देते हैं, जिससे दावों का भुगतान तेजी से किया जा सके।"
- खासखबर नेटवर्क
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