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ट्रंप 2.0 से पहले हिंडनबर्ग का बंद होना जांच से बचने की आखिरी कोशिश 

Source : business.khaskhabar.com | Jan 16, 2025 | businesskhaskhabar.com Business News Rss Feeds
 hindenburgs closure before trump 20 is a last ditch effort to avoid investigation 696927नई दिल्ली )। हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने अपनी फर्म बंद करने का ऐलान किया है। 2017 में स्थापित हुई शॉर्ट सेलिंग फर्म अपनी सनसनीखेज रिपोर्टों के लिए बदनाम थी।

शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग अपनी रिपोर्ट्स में कंपनियों पर धोखाधड़ी या अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाती थी। अब तक इस फर्म ने कई बड़े कॉरपोरेट्स को निशाना बनाया है, जिसमें अदाणी ग्रुप और निकोला कॉरपोरेशन का नाम शामिल है।

एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म को बंद करने का कारण बताते हुए कहा कि यह उनका निजी निर्णय है और वे इससे आगे बढ़ना चाहते हैं।

कुछ ऑब्जर्वर्स का मानना है कि यह कदम अमेरिकी नियामक निगरानी में अपेक्षित बदलावों से पहले उठाया गया है, क्योंकि आगामी प्रशासन द्वारा वैश्विक बाजारों में व्यवधान पैदा करने वाली वित्तीय संस्थाओं की जांच शुरू की जा सकती है।

कई विश्लेषकों के मुताबिक, ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की तरह ही हिंडनबर्ग रिसर्च भी अपने बड़े भू-राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सोरोस समर्थित डीप-स्टेट टूल के रूप में काम करता है।

टारगेटेड विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता पैदा करने के लिए इन संस्थाओं का जो बाइडेन प्रशासन द्वारा रणनीतिक रूप से लाभ उठाया गया था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अक्सर बाजारों में अस्थिरता पैदा होती थी।

उदाहरण के लिए, अदाणी समूह पर फर्म की रिपोर्ट दक्षिण एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के साथ मेल खाती है, जिससे भारत के प्रमुख समूहों में से एक को काफी वित्तीय नुकसान हुआ है। ऐसी रिपोर्टों के समय ने सवाल उठाए हैं कि क्या ये कार्य संयोगवश थे या विशिष्ट अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा थे। ग्लोबल साउथ में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी भारत को इन खुलासों का खामियाजा ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर भुगतना पड़ा, जब उसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा था।

माना जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन में बदलाव के बाद वैश्विक बाजारों में व्यवधान पैदा करने वाली संस्थाओं को जांच का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन, जिसे वित्तीय जवाबदेही के बहाने वैश्विक बाजारों को प्रभावित करने वाली संस्थाओं पर अपने आलोचनात्मक रुख के लिए जाना जाता है, ऐसी फर्मों को अधिक गहन जांच के दायरे में ला सकता है। हिंडनबर्ग रिसर्च को पहले से ही बंद करके, वह खुद को और अपने डीप स्टेट सहयोगियों को संभावित कानूनी और विनियामक परिणामों से बचाने की कोशिश कर रहा है।

ऑब्जर्वर्स का यह भी अनुमान है कि फर्म के बंद होने से इसके संचालन मॉडल, फंडिंग स्रोतों और राजनीतिज्ञों के साथ संभावित जुड़ाव के बारे में बढ़ती जांच को कम करने में मदद मिल सकती है।

हिंडनबर्ग के संचालन ने हमेशा लोगों की राय को ध्रुवीकृत किया है। एक ओर फर्म को बड़े नामों और विशाल कॉरपोरेट्स को 'बेनकाब' करने की अपनी क्षमता के लिए सराहा गया। दूसरी ओर, शॉर्ट सेलिंग सहित इसकी रणनीति की आलोचना बाजार में अस्थिरता को बढ़ाने और विशेष रूप से उभरते बाजारों में वित्तीय संकट पैदा करने के लिए की गई।

इसके जुड़ाव और उद्देश्यों के बारे में सवाल बने हुए हैं, इसलिए हिंडनबर्ग का बंद होना इस बहस का अंत नहीं बल्कि भविष्य में इस तरह के संचालन के तरीके में बदलाव का संकेत हो सकता है।

--आईएएनएस

 

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