ईवी इंडस्ट्री में उछाल: 2030 तक 2 लाख प्रोफेशनल होंगे शामिल, नई नीति से ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की उम्मीद
Source : business.khaskhabar.com | Jun 04, 2025 | 
नई दिल्ली। भारत का इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) उद्योग 2030 तक एक महत्वपूर्ण विस्तार के लिए तैयार है, जिसमें अनुमानित 2,00,000 प्रोफेशनल वर्कफोर्स में शामिल होंगे। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि भारत को कार्बन उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
हाल ही में घोषित नई ईवी नीति भारत के हरित मोबिलिटी लक्ष्यों को तेजी से आगे बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलग ने इस नई नीति की सराहना करते हुए कहा, "स्थानीय विनिर्माण प्रतिबद्धताओं के साथ आयात शुल्क रियायतों को जोड़कर, सरकार 'मेक इन इंडिया' पर जोर देते हुए वैश्विक ईवी खिलाड़ियों को यह संदेश भेज रही है कि भारत निवेश का स्वागत करता है।"
यह रणनीतिक दृष्टिकोण न केवल विदेशी भागीदारी को प्रोत्साहित करता है बल्कि घरेलू ईवी इकोसिस्टम को भी मजबूत करता है, जिससे बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन और तकनीकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।
अलग ने जोर दिया कि जैसे-जैसे ईवी क्षेत्र का विस्तार होगा, हमें ईवी सॉफ्टवेयर प्रबंधन, एम्बेडेड इलेक्ट्रॉनिक्स, यूआई/यूएक्स डिजाइनर, आयनिक डेवलपर्स जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में भूमिकाओं की मांग में 'शानदार वृद्धि' की उम्मीद है। यह दर्शाता है कि भविष्य में ऑटोमोटिव कार्यबल के कौशल सेट में एक महत्वपूर्ण बदलाव आएगा, जिसमें पारंपरिक मैकेनिकल इंजीनियरिंग के बजाय सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक्स पर अधिक ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में वैश्विक निर्माताओं से नए निवेश आकर्षित करने और भारत को ई-वाहनों के लिए एक 'ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब' के रूप में बढ़ावा देने के लिए अपनी दूरदर्शी योजना के लिए दिशा-निर्देश अधिसूचित किए हैं। इस स्कीम के तहत, कंपनियों को आवेदन स्वीकृत होने की तारीख से 5 वर्ष की अवधि के लिए 15 प्रतिशत की कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 डॉलर के सीआईएफ (कॉस्ट इंश्योरेंस और फ्रेट वैल्यू) के साथ इलेक्ट्रिक चार-पहिया वाहनों की पूरी तरह से निर्मित इकाइयों (सीबीयू) का आयात करने की अनुमति दी जाएगी।
इस नीति का प्राथमिक उद्देश्य अमेरिकी टेक दिग्गज टेस्ला जैसे वैश्विक निर्माताओं को भारत में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करना है। स्वीकृत आवेदकों को योजना के प्रावधानों के अनुरूप न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। हालांकि, कम शुल्क दर पर आयात की जाने वाली ई-4डब्ल्यू (इलेक्ट्रिक फोर-व्हीलर) की अधिकतम संख्या प्रति वर्ष 8,000 इकाई तक सीमित होगी, जिसमें अप्रयुक्त वार्षिक आयात सीमा को आगे ले जाने की अनुमति होगी। यह कदम भारत को वैश्विक ईवी आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो ऑटोमोबाइल उद्योग के भविष्य को आकार देने के लिए तैयार है।
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