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बैंकों को बड़े दिवालिया मामलों की हर महीने समीक्षा का निर्देश

Source : business.khaskhabar.com | Dec 23, 2023 | businesskhaskhabar.com Market News Rss Feeds
 banks instructed to review major bankruptcy cases every month 607787नई दिल्ली।वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रबंध निदेशकों को हर महीने शीर्ष 20 दिवालिया मामलों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

उन्होंने बताया कि सरकार ने दिवालिया मामलों की समीक्षा के लिए कहा है क्योंकि दिवालिया अदालतों में मामलों को स्वीकार करने में देरी होती है।

जोशी ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) के कामकाज की भी समीक्षा करेंगी क्योंकि फँसे कर्ज की वसूली में देरी हो रही है।

सरकार ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए शुक्रवार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एनएआरसीएल प्रबंधन के साथ बैठक बुलाई थी।

एनएआरसीएल की स्थापना वाणिज्यिक बैंकों की तनावग्रस्त संपत्तियों को संभालने और उनका निपटान करने के लिए की गई थी ताकि उनके बही-खाते साफ हो जाएं और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अधिक धन उपलब्ध हो सके।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने पिछले सप्ताह संसद को सूचित किया कि नवंबर 2024 तक एनएआरसीएल ने सितंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा निर्धारित दो लाख करोड़ रुपये के मूल लक्ष्य के मुकाबले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से 11,617 करोड़ रुपये के फँसे हुए ऋण का अधिग्रहण किया है।

मंत्रालय ने कहा, "एनएआरसीएल द्वारा अधिग्रहित कुछ खाते आईबीसी के तहत हैं और एनसीएलएटी द्वारा समाधान योजना को मंजूरी मिलने के बाद ही वसूली संभव है।"

इस प्रकार, शेष खातों में एनएआरसीएल ने 30 नवंबर 2023 तक केवल 16.64 करोड़ रुपये की वसूली की है।

आईबीसी मामलों में भी देरी होती है, जिन्हें न्यायाधिकरणों में दाखिल होने में ही एक साल से अधिक का समय लग जाता है, जबकि समाधान प्रक्रिया 360 दिन की समयसीमा से कहीं अधिक लंबी हो जाती है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2019 से 2023 के बीच पांच वर्षों में सात लाख करोड़ रुपये से अधिक का फंसा कर्ज माफ कर दिया।

इन अटकी संपत्तियों में से 6.5 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2023 में 94,000 करोड़ रुपये या मात्र 15 प्रतिशत की वसूली की गई है, जिसमें से आधे से अधिक बरामद राशि आईबीसी मार्ग के माध्यम से आई है।

--आईएएनएस

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