शेयर बाजार : जनमत सर्वेक्षण पर रहेगी निवेशकों की नजर
Source : business.khaskhabar.com | May 11, 2014 | 

मुंबई| देश के शेयर बाजारों में अगले सप्ताह निवेशकों की निगाह आम चुनाव के आखिरी चरण के बाद प्रस्तुत होने वाले जनमत सर्वेक्षणों पर टिकी रहेगी। अगले सप्ताह आम चुनाव के परिणाम का इंतजार और कंपनियों द्वारा प्रस्तुत होने वाले पिछले वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही और संपूर्ण कारोबारी वर्ष के परिणाम भी शेयर बाजार को प्रमुखता से प्रभावित करेंगे।
चुनाव आयोग ने देश में जारी मौजूदा आम चुनाव के नौवें और आखिरी चरण सोमवार 12 मई के शाम 6.30 बजे तक जनमत सर्वेक्षणों के प्रसारण किए जाने पर रोक लगा रखी है। इस समय सीमा के बाद तमाम जनमत सर्वेक्षणों का प्रसारण शुरू हो सकता है।
शुक्रवार 16 मई को मतगणना शुरू होगी और परिणाम आने शुरू हो जाएंगे। साधारण राय है कि यदि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत गठबंधन को बहुमत मिलता है, तो बाजार में भारी तेजी देखने को मिलेगी। इसके विपरीत परिणाम आने पर बाजार 10 फीसदी तक लुढ़क भी सकता है।
परिणाम की घोषणा के बाद निवेशकों को नई सरकार के बजट का इंतजार रहेगा, जो नई सरकार जुलाई मध्य तक प्रस्तुत कर सकती है। मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल एक जून को समाप्त होगा और नई लोकसभा का गठन 31 मई तक कर लिया जाना है।
अगले सप्ताह से निवेशकों की नजर कंपनियों द्वारा जारी किए जाने वाले जनवरी-मार्च 2014 तिमाही और 2013-14 कारोबारी वर्ष के परिणामों की घोषणा पर भी टिकी रहेगी। निवेशक परिणामों के साथ आने वाले आय के अनुमानों से निवेश की रणनीति तय करेंगे। परिणाम जारी करने का दौर मई के आखिरी तक चलेगा।
सोमवार को जस्ट डायल और टीवी टुडे, मंगलवार को कैस्ट्रोल इंडिया और टाटा कम्युनिकेशंस, बुधवार को एमफैसिस और टेक महिंद्रा, गुरुवार को अदानी पॉवर और एनटीपीसी तथा शुक्रवार को स्पाइसजेट और व्हील्स इंडिया अपने परिणामों की घोषणा करेंगी।
भारतीय रिजर्व बैंक अगली मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा तीन जून को करेगा। बैंक ने एक अप्रैल की घोषणा में पिछली दरों को यथावत रखा था।
मौसम विज्ञान विभाग द्वारा आगामी मानसून के मौसम (जून-सितंबर) में बारिश कम होने की भविष्यवाणी का प्रभाव भी शेयर बाजार पर देखा जा सकता है। मौसम कार्यालय की भविष्यवाणी के मुताबिक, मानसूनी बारिश पांच फीसदी की घट-बढ़ की मॉडल त्रुटि के साथ 89 सेंटीमीटर के दीर्घावधि औसत के 95 फीसदी रहने का अनुमान है।
मानसून का देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होता है। इसके कमजोर रहने से कृषि प्रभावित हो सकता है, महंगाई बढ़ सकती है और इससे अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।