सेबी के आदेश के खिलाफ एफटीआईएल की खारिज हुई याचिका
Source : business.khaskhabar.com | July 09, 2014 |
मुंबई। सैट ने जिग्नेश शाह प्रवर्तित फिनांशल टेक्नोलाजीज (एफटीआईएल) की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसे बाजार चालने वाले किसी संगठन में हिस्सेदारी के लिए अपात्र करार देने वाले सेबी के आदेश को चुनौती दी गई थी। पंचाट ने कहा है कि वित्तीय बाजार के नियामकों के फैसलों का एक दूसरे पर असर होता है। प्रतिभूति अपीलीय पंचाट (सैट) ने एफटीआईएल को एमसीएक्स-एसएक्स समेत विभिन्न बाजारों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए चार सप्ताह का मौका दिया है।
मामले की सुनवाई कर रहे सैट के पीठासीन अधिकारी जेपी देवधर ने कहा कि सवाल यह था कि क्या एक नियामक के फैसले का असर दूसरे पर होता है। उन्होंने सैट का फैसला सेबी के पक्ष में दिया और कहा कि जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयेाग (एफएमसी) द्वारा नियमित कारोबार सेबी द्वारा नियमित कारोबार की तरह ही हैं। सेबी ने एनएसईएल (नेशनल स्पाट एक्सचेंज लिमिटेड) में 5,500 करोड रूपए का घोटाला सामने आने के बाद एफएमसी द्वारा जारी इसी तरह के आदेश के बाद अपना फैसला सुनाया।
एनएसईएल में 99.9 प्रतिशत हिस्सेदारी एफटीआईएल की है। देवधर ने कहा कि सैट की तीन सदस्यीय पीठ का आदेश बहुत के आधार पर है। सैट के सदस्य एएस लांबा की राय बाकी दो सदस्यों से अलग रही। उन्होंने ने उन्होंने सेबी के आदेश को गैर-पेशेवराना बताया। देवधर ने कहा कि एक नियामक द्वारा जारी आदेश वास्तविक तौर पर अन्य नियामकों पर भी लागू होता है और इस सिद्धांत का पालन न करना नियमन की भाव के विपरीत होगा। एफटीआईएल को अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए दी गई समयसीमा पहले की खत्म हो गई है और कंपनी मौजूदा हिस्सेदारी बेचने के लिए और चार सप्ताह का समय ले सकती है।